घर में ही मौजूद है पोषण के सारे आहार, आम लोगों को किया जा रहा है जागरुक

रायपुर/अभनपुर। प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रीय पोषण माह के तहत शिशुवती माताओं को पौष्टिक आहार के साथ-साथ पौष्टिक आहार बनाने की सीख भी मिल रही है । साथ ही गर्भवती महिलाओं को गर्भ में पल रहे शिशु की उचित देखभाल के साथ स्वस्थ शिशु के लिए किन पौष्टिक आहार का उपयोग करना है के बारे में भी गृह भ्रमण और बैठकों के माध्यम से जानकारी दी जा रही है।

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इसी कड़ी में विकाखण्ड अभनपुर के सेक्टर तोरला की ग्राम पंचायत टीला में आंगनबाड़ी क्रमांक 1 से 4 तक में कई गतिविधियों का आयोजन किया गया, इस दौरान शिशुवती माता जानकी निराला कहती हैं, मुनगा फली हमारे घर के आंगन और खेत में लगी हुई है लेकिन उसके महत्व के बारे में हमें नहीं पता था ।

ग्राम में चल रहे राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान पौष्टिक आहार की जानकारी आंगनवाड़ी दीदी से मिली , दीदी ने बताया इसकी पत्तियों में प्रोटीन विटामिन बी 6, विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन ई, आयरन, मैग्नीशियम पोटेशियम, जिंक जैसे तत्व पाये जाते हैं, इसकी फली में विटामिन ई और मुनगा की पत्ती में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाये जाते है । मुनगा में एंटी ओग्सिडेंट बायोएक्टिव प्लांट कंपाउंड होते हैं, यह पत्तियां प्रोटीन का भी अच्छा स्रोत है।

एक कप पानी में 2 ग्राम प्रोटीन होता है, यह प्रोटीन किसी भी प्रकार से मांसाहारी स्रोत से मिले प्रोटीन से कम नहीं है क्योंकि इसमें सभी आवश्यक एमिनों एसिड पाए जाते है । जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में मददगार होते हैं ।

वहीं 6 माह की गर्भवती सुजाता कहती हैं कि गृह भेंट के दौरान आंगनबाड़ी और मितानिन दीदी ने बताया कि गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चे के लिए मुनगा भाजी कितना लाभकारी है, बच्चा हो जाने के उपरांत दूध पिलाने वाली मां के लिए भी मुनगा भाजी अमृत के समान है । दीदी ने बताया मुनगा की पत्ती को घी में गर्म करके प्रसूता स्त्री को दिए जाने का पुराना रिवाज है, इससे दूध की कमीं नहीं होती और जन्म के बाद भी कमजोरी और थकान का भी निवारण होता है। साथ ही बच्चा भी स्वस्थ रहता है और वजन भी बढ़ता है। मुनगा में पाये जाने वाला पर्याप्त कैल्शियम किसी भी अन्य कैल्शियम पूरक से कई गुना अच्छा है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता करुणा सोनी ने बताया विभाग द्वारा विभिन्न गतिविधियां का आयोजित किया जा रहा है। ग्राम में सुपोषण के बारे में जागरूकता लाने के लिए स्कूली बच्चों के सहयोग से चित्रकारी, स्लोगन तथा रंगोली द्वारा संदेश बनवाये गये और व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से भी पोषण से संबंधित जागरूकता संदेश दिए जा रहे है।

ग्राम में सुपोषण चौपाल कृषक बैठक का भी आयोजन किया जा रहा है। सुपोषण चौपाल में पौष्टिक आहार से संबंधित जानकारियां दी जा रही है। सुपोषण से संबंधित इन रचनात्मक गतिविधियों के द्वारा महिलाओं तथा बच्चों मे सुपोषण के बारे मे जागरूकता लाई जा रही है। ऐसी बैठकों के माध्यम से ग्राम पंचायत द्वारा मुनगा, केला, आम और सब्जी भाजी के पेड़ एवं बीजों का वितरण भी किया जा रहा है ।

चौपाल और कृषक बैठक के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा, शारीरिक दूरी अपनाकर कृषि कार्यों के साथ-साथ हाथ को अच्छे से धोना । जगह-जगह गुटका खा कर थूकने से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है ।
कोरोना महामारी के इस दौर मे कोविड-19 के संबंधित गाईडलाइन का पालन कर सभी गतिविधियां सम्पन्न की जा रही है।

सुपोषण के बारे मे जागरूकता लाने तथा बच्चों, महिलाओं को कुपोषण से बचाने के चित्रकारी, सुपोषण से संबंधित स्लोगन तथा रचनात्मक चित्रकारी को बच्चों के साथ बड़े भी रूचि लेकर सुपोषण का महत्व समझ रहे हैं। बच्चों तथा महिलाओं को कुपोषण से मुक्ति दिलाने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर पौष्टिक आहार “रेडी टू ईट”का वितरण किया भी किया जा रहा है।