दो ऐतिहासिक समझौते, स्थानीय मुद्राओं में लेन-देन को बढ़ावा देने और भुगतान तथा संदेश प्रणाली को जोडने में सहयोग से संबद्ध
नई दिल्ली : भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच आज बैंकिग क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गये है। बैंकिग क्षेत्र में स्थानीय मुद्रा के उपयोग से संबंधित दो समझौते किए गये। इसका उद्देश्य स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देना और भुगतान तथा संदेश प्रणालियों को आपस में जोड़ने की सुविधा प्रदान करना है।
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता और बैठक हुई। इस दौरान व्यापार और निवेश, फिनटेक, ऊर्जा, पर्यावरणीय कार्यवाही, उच्च शिक्षा तथा लोगों के बीच सम्पर्क सहित व्यापक द्विपक्षीय सहयोग के क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया गया।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास और सेंट्रल बैंक ऑफ यूएई के गवर्नर खालेद मोहम्मद बालमा ने आर्थिक सहयोग और निर्बाध सीमा पार लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए दो समझौते किये। पहला समझौता सीमा पार लेनदेन के लिए स्थानीय मुद्राओं, विशेष रूप से भारतीय रुपये और संयुक्त अरब अमीरात के दिरहम के उपयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली से निर्यातकों और आयातकों को अपनी संबंधित घरेलू मुद्राओं में चालान और लेनदेन करने में मदद मिलेगी, जिससे रूपये और दिरहम के विदेशी मुद्रा बाजार को बढ़ावा मिलेगा।
दूसरा समझौता दोनों केंद्रीय बैंकों के भुगतान और संदेश प्रणाली के बीच सहयोग पर केंद्रित है। इसमें भारत की त्वरित भुगतान प्रणाली- यू पी आई को संयुक्त अरब अमीरात के इंस्टेंट पेमेंट प्लेटफॉर्म के साथ जोड़ना और भारतीय रूपे कार्ड स्विच तथा यूएई कार्ड स्विच को जोड़ना शामिल है। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच निर्बाध और कुशल सीमा पार धन हस्तांतरण, कार्ड लेनदेन और वित्तीय संदेश की सुविधा प्रदान करना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समझौते को दोनो देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। इससे दोनों देशों के बीच सीमा पार व्यावसायिक लेनदेन को सुविधाजनक, सुरक्षित और लागत प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी।