प्रधानमंत्री ने कहा- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य बेहतर व्यक्ति के निर्माण के माध्यम से बेहतर राष्ट्र का निर्माण करना है
नई दिल्ली :- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य बेहतर व्यक्ति के निर्माण के माध्यम से बेहतर राष्ट्र का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि नई नीति में युवाओं की समझ और उनके निर्णयों तथा सोच का विकास करने को प्राथमिकता दी गई है। दूसरे राष्ट्रीय युवा सांसद महोत्सव के समापन समारोह को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसा माहौल बनाने का प्रयास कर रही है, जिसमें युवाओं को बेहतर अवसर प्राप्त हों।
स्वामी विवेकानंद का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि स्वामीजी ने हमेशा नौजवानों की शारीरिक और मानसिक, दोनों ही क्षमताओं के विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद के उपदेशों से प्रेरित होकर सरकार भारतीय नौजवानों की मानसिक और शारीरिक क्षमताओं के विकास पर विशेष रूप से ध्यान दे रही है।
स्वामीजी के एक कथन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि निर्भीक, निर्मल हृदय, साहसी और नई उम्मीदों से भरे नौजवान ही वह आधारशिला हैं जिस पर महान राष्ट्र के भविष्य का निर्माण होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामीजी युवाओं और उनकी शक्ति पर पूरा भरोसा करते थे।
मोदी ने कहा कि देश के आजाद होने के इतने वर्षों बाद भी आज हमें समाज में स्वामीजी का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। स्वामीजी ने अध्यात्म, राष्ट्रवाद और राष्ट्र निर्माण और मानवता की सेवा के बारे में जो विचार व्यक्त किये उनका आज भी हमारे देश के लोगों के मन में असर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने हमें एक और बहुमूल्य उपहार दिया और यह उपहार व्यक्तियों के माध्यम से संस्थाओं के निर्माण के रूप में था। उन्होंने कहा कि आज भी लोग स्वामीजी से प्रेरणा लेकर महान संस्थाओं का निर्माण कर रहे हैं। इस तरह की संस्थाओं से जुड़े लोग स्वामीजी के बताये रास्ते पर चलते हैं और अन्य लोग उनसे प्रेरणा लेते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे स्वाधीनता सेनानियों पर स्वामी विवेकानंद का बड़ा प्रभाव था और उन्होंने जो कार्य किया उससे युवाओं में राष्ट्रभक्ति की भावना का संचार हुआ।
मोदी ने कहा कि लोगों के मन में यह धारणा बन गई थी कि अगर कोई नौजवान राजनीति के क्षेत्र में जाता है तो वह बर्बाद हो जायेगा। लोग यह भी मानने लगे थे कि सबकुछ बदल सकता है, लेकिन राजनीति नहीं बदलती। लेकिन प्रधानमंत्री ने कहा कि आज स्थिति में बदलाव आया है और ईमानदार लोगों को भी राजनीति में जगह मिल रही है। ईमानदारी और अच्छे कार्य आज की राजनीति के लिए पहली अनिवार्य शर्त बन गये हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला, शिक्षा मंत्री रेमश पोखरियाल निंशक तथा युवा कार्य और खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने भी युवा महोत्सव को संबोधित किया। युवा संसद प्रतियोगिता के तीन विजेताओं ने भी कार्यक्रम के दौरान अपने विचार व्यक्त किये।