मंत्रिमण्डल की आर्थिक कार्य समिति ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को सहयोग देने के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना को मंजूरी दी
नई दिल्ली : सरकार ने 13 हजार करोड रूपये के वित्तीय परिव्यय से पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों को सहयोग देने के लिए नई केंद्रीय योजना – पीएम-विश्वकर्मा योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना का उद्देश्य हाथों और औजारों के जरिए काम करने वाले शिल्पकारों और कारीगरों की पीढियों से चले आ रहे पारंपरिक कौशल को मजबूती तथा बढावा देना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक कार्य समिति ने पांच वर्ष की अवधि के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना को कल स्वीकृति दी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद नई दिल्ली में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत शुरूआत में 18 पारंपरिक उद्योग-धंधों को शामिल किया जाएगा। इनमें बढई, नाव बनाने वाले, सुनार, राजमिस्री, खिलौने बनाने वाले, लौहार और कुम्हार शामिल हैं। उन्होंने कहा कि योजना के अंतर्गत इनके हुनर को बढाया जाएगा तथा उपकरण प्रोत्साहन, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और बाजार उपलब्ध कराया जाएगा।
वैष्णव ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत पांच प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर एक लाख रूपये तक का ऋण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस योजना से 30 लाख से अधिक परिवार लाभान्वित होंगे।
पीएम विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत शिल्पकारों और कारीगरों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण-पत्र और पहचान पत्र के जरिए मान्यता दी जाएगी।