प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मानवाधिकारों की मनमानी व्याख्या और देश की छवि धूमिल करने में इसके इस्तेमाल के खिलाफ आगाह किया
नई दिल्ली :- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत मानवाधिकारों के संरक्षण और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने नागरिकों को शत-प्रतिशत बुनियादी सुविधाओं का लाभ पहुंचाने का आह्वान किया है।
वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से नई दिल्ली में आयोजित 28वें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया जिस समय प्रथम विश्व युद्ध की हिंसा से जूझ रही थी, उस समय भारत ने ‘अधिकार और अहिंसा’ का रास्ता सुझाया। आजादी के लिए हमारा आंदोलन और इतिहास मानवाधिकारों के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत है।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भी भारत ने दुनिया को समानता और मानवाधिकारों पर एक नया दृष्टिकोण पेश किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार समाज में हाशिए पर रह रहे लोगों के लिए सुविधाएं, बुनियादी जरूरतें और बेहतर आजीविका मुहैया करा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने बिना किसी भेदभाव के समाज के प्रत्येक व्यक्ति की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सभी सुधारों और कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की।
मोदी ने यह भी उल्लेख किया कि गरीबों को न केवल बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं बल्कि उन्हें अनेक अवसर उपलब्ध कराकर उनकी गरिमा को बहाल किया जा रहा है और उन्हें सशक्त बनाया जा रहा है।
महिला अधिकारों के संरक्षण की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि महिलाओं के रोजगार के लिए कई क्षेत्रों को खोला गया है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि महिलाएं अपने कार्यस्थल पर समुचित सुरक्षा के साथ चौबीसों घंटे काम कर सकें।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को 26 सप्ताह का वेतन सहित मातृत्व अवकाश देने की पक्की व्यवस्था हुई है, विकसित देश भी यह उपलब्धि हासिल नहीं कर पाये हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाएं दशकों से तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने की मांग कर रही थी जिसे मौजूदा सरकार ने नये कानून को अमल में लाकर उनकी मांग पूरी की।
हाल के पैरालम्पिक खेलों में पैरा एथलीटों के शानदार प्रदर्शन की याद दिलाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के कुछ वर्षों में दिव्यांग जनों के लिए कानून बनाये गये हैं। उन्हें नई सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
प्रधानमंत्री ने मानवाधिकारों की मनमानी व्याख्या करने और देश की छवि धूमिल करने के लिए इनके इस्तेमाल के खिलाफ आगाह किया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपने स्वार्थ की वजह से मानवाधिकारों की मनमानी व्याख्या कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन तब होता है जब उन्हें राजनीतिक लाभ-हानि के नजरिये से देखा जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यही चुनिन्दा व्यवहार लोकतंत्र के लिए हानिकारक है।
इस अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पिछले सात वर्षों में लगभग 60 करोड़ गरीब लोगों की सुख-सुविधा पर ध्यान दिया गया है। महिलाओं के लिए दस करोड़ शौचालय बनाये गये और करीब चार करोड़ घरों में बिजली पहुंचाई गई।
शाह ने कहा कि आयोग ने स्थापना के 28 वर्षों में 20 लाख मामलों का निस्तारण किया और 205 करोड रूपये का मुआवजा दिया।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा ने नागरिकों को न्याय दिलाने के लिए एक दीर्घकालिक और ठोस योजना बनाने का आह्वान किया।
अपने संबोधन में मिश्रा ने कहा कि लोगों को शीघ्र न्याय मिलना उनका मौलिक अधिकार है लेकिन अभी भी यह एक सपने जैसा है।