सहायक संचालक राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण एवं नोडल अधिकारी प्रशांत कुमार पांडे ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख बिंदुओं पर पाठों का निर्धारण की जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण एवं शहरी एरिया को ध्यान में रखकर सामग्री निर्माण सरल और भाषा में होना चाहिए। जिसमें बातचीत जनउला एवं अन्य विधाओं का उपयोग हो। राज्य शिक्षा केन्द्र की प्रकोष्ठ प्रभारी प्रीति सिंह ने कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में बताया। जिला परियोजना अधिकारी कोरिया उमेश कुमार जायसवाल ने आईपीसीएल पद्धति से शिक्षार्थियों को सीखने की बात कही।

डॉ. सुधीर श्रीवास्तव ने कहा कि गणित में रोजमर्रा का इस्तेमाल होने वाले विषय वस्तु को भी ध्यान में रखा जाए। ज्योति चक्रवती ने कहा कि पाठों को प्रस्तुत करने हेतु नवाचारी तरीके अपनाकर ऐसी सामग्री का निर्माण होना चाहिए, जो आने वाले 10 सालों तक कारगर साबित हो।

यूनिसेफ सलाहकार डॉ. मनीषा वत्स ने पाठ के निर्माण के लिए योजनाबद्ध तरीके से विषय वस्तु, पाठ का नाम, व्यंजन, मात्रा, शब्द आदि की जानकारी दी। उन्होंने महानदी, अरपा, इंद्रावती, शिवनाथ ग्रुप के सदस्यों के साथ इन जानकारियों को साझा कर समूह में कार्य करने के निर्देश दिये। कार्यशाला में जिलों के परियोजना अधिकारी, व्याख्याता डाइट, रिसोर्स पर्सन, शिक्षकों ने लेखन कार्य में अपना योगदान किया।

कार्यशाला का संचालन राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के परियोजना सलाहकार निधि अग्रवाल ने किया। परियोजना सलाहकार नेहा शुक्ला ने सभी प्रतिभागियों के साथ कार्यशाला की नियमावली साझा की। यूनिसेफ सलाहकार विकास भदौरिया, राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण की कविता लिखार, महेश वर्मा और डमरुधरदीप आदि उपस्थित थे।