संसद ने छत्तीसगढ़ में कुछ समुदायों को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने के लिए संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक पारित किया

नई दिल्ली : राज्यसभा में कल संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक, 2022 पर चर्चा हुई और फिर विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक में छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों की सूची में धनुहार, धनुवार, किसान, सौंरा, सौंरा और बिंझिया समुदायों को शामिल किये जाने का प्रस्‍ताव है।

विधेयक में भुइन्‍या, भुइयां और भुयान समुदायों को भरिया भूमिया समुदाय का ही हिस्सा माने जाने का प्रावधान है। विधेयक में पंडो समुदाय के नाम के तीन देवनागरी संस्करण भी शामिल करने का प्रस्‍ताव है।

चर्चा की शुरुआत बीजू जनता दल के निरंजन बिशी ने की। उन्होंने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह छत्तीसगढ़ की जनजातियों के हित में हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदायों का विकास सीधे तौर पर देश की प्रगति से जुड़ा है।

भाजपा के समीर ओरांव ने कहा कि केंद्र सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर ध्यान केंद्रित करके अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए कई पहल की हैं। पार्टी के एक अन्य सांसद सरोज पांडेय ने छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों के लोगों के कथित जबरन धर्म परिवर्तन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इसके जरिए समुदाय की संस्कृति पर बार-बार हमले किए गए हैं।

विधेयक पर चर्चा में भारतीय जनता पार्टी के डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने भी पार्टी के अन्य सांसदों राकेश सिन्हा और बिप्लब कुमार देब के साथ अन्नाद्रमुक के डॉ. एम. थंबीदुरई, बीजू जनता दल के डॉ. सस्मित पात्रा और अन्य ने भी भाग लिया।

चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने कहा, जनजातीय समुदायों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं।