पैसे निकालने के लिए अब नहीं लगाना पड़ता बैंकों का चक्कर, ऑन द स्पाट हो रहा है भुगतान,
जांजगीर-चांपा :- अब गांव के लोंगों और श्रमिकों को कम राशि निकालने, बैक खाता में पैसा ट्रान्सफर करने, पेंशन राशि प्राप्त करने, मजदूरी का पैसा निकालने के लिए बैंक में लंबी कतार में नहीं लगना पड़ता और ना ही आने-जाने पर भी राशि खर्च करनी पड़ रही है। समय की बचत भी हो रही है। एन आर एल एम से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में 190 बैंक सखिंया कार्यरत है।
इस बैंक सखियों के माध्यम से करीब ढाई से तीन करोड़ रूपये का भुगतान प्रतिमाह किया जा रहा है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में काम करने वाले मजदूरों को पैसे के लिए बैंकों का चक्कर नहीं लगाना पड़ता। उनकी मजदूरी का भुगतान एनआरएलएम की बीसी सखी सेतु (‘सेतु’-एसएचजी -इम्पावरिंग, ट्रांसफारमिंग एण्ड अर्बनाइजिंग विलेजेस) से जुड़ी महिलाएं कार्यस्थल पर ही जाकर कर रही हैं। ग्रामीणों को अब बीसी सखी का इन्तजार रहता है।
मोबाइल रिचार्ज, बिजली बिल एवं अन्य बैंकिंग सुविधाएं
बैंक सखी को लेपटाप कियोस्क मॉडल के भुगतान पर पंद्रह सौ रूपए एवं मोबाइल पे-प्वाइंट के भुगतान करने पर प्रतिमाह एक हजार रूपए का मानदेय दिया जाता है।
मनरेगा के कार्यस्थल पर जाकर बीसी सखी सेतु की महिलाएं मजदूरी का भुगतान कर रही है। इसके अलावा बुजुर्ग, विधवा पेंशन का लाभ, गैस पर मिलने वाली सब्सिडी का भुगतान हो या जनधन खाते में आई राशि का भुगतान, टीवी का रिचार्ज से लेकर मोबाइल रिचार्ज, बिजली बिल का भुगतान एवं अन्य बैंकिंग सुविधाएं बैंक सखी सेतु के माध्यम से मुहैया कराया जा रहा है। कोरोना वायरस से बचने के लिए फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है।
कियोस्क लेपटाप के माध्यम से गांव-गांव में बैंकिंग की सुविधाएं
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के माध्यम से जिले के विकासखण्डों में ऑनलाइन कियोस्क लेपटाप के माध्यम से समूहों की महिलाएं बैंकिंग की सुविधाएं गांव-गांव जाकर दे रही हैं। इसके अलावा पे-प्वाइंट मोबाइल उपकरण के माध्यम से भी महिलाएं घर-घर जाकर बैंकिंग की सुविधा मुहैया करा रही हैं। बैंक सखी सेतु की महिलाएं लॉकडाउन अवधि में 4 करोड़ रूपए से ज्यादा का भुगतान कर चुकी हैं।