बच्चों के अधिकारों के प्रभावी संरक्षण एवं बालश्रम निषेध के संबंध में बैठक संपन्न
जिले में बाल श्रम, अपशिष्ट पदार्थ और भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों के पुनर्वास के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान 15 दिसम्बर से 15 जनवरी तक चलेगा।
इस संबंध मे कलेक्टर निलेशकुमार क्षीरसागर के अध्यक्षता में जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक आयोजित की गई, जिसमें जिले में बाल श्रम, कचरा बीनने और भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों के रेस्क्यू और सर्वे की करने संबंधी चर्चा की गई।
कलेक्टर ने सर्वेक्षण अभियान को गंभीरता से लेते हुए पहचान किये गये बच्चों का सर्वेक्षण कर बाल कल्याण समिति के समक्ष अनिवार्यत प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। उन्होंने सभी संबंधित विभागों को समन्वय बनाकर कार्य करने के निर्देश दिये।
कलेक्टर ने कहा कि कोविड 19 के कारण बच्चे शिक्षा से वंचित हुये है उनमे से कुछ बच्चे बालश्रम व भिक्षावृत्ति की ओर जा सकते है ऐसे बच्चों को चिन्हांकित किया जाना आवश्यक है। हमें विशेष रूप से पंचर दुकान, होटल, ढ़ाबे व कारखानों मे विशेषकर अभियान चलाया जाना आवश्यक है। बालश्रम व भिक्षावृत्ति मे लिप्त बच्चों की सूची समय सीमा की बैठक मे अनिवार्यतः उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये जिससे उन बच्चों के उचित सुरक्षा/संरक्षण/देखभाल हेतु रणनीति तैयार की जा सके।
इस अभियान के तहत् बच्चों का सर्वे संकुल और वार्ड स्तर पर प्रभारी एवं नोडल अधिकारियों द्वारा किया जायेगा।
महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी जगरानी एक्का ने कहा कि नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के सर्वेक्षण और रेस्क्यू के बाद देखभाल की आवश्यकता वाले बच्चों की सूची महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यालय को प्रेषित की जाए।
बैठक में बाल श्रमिकों के सर्वेक्षण के लिए होटल, रेस्टोरेंट, इंडस्ट्रीज, बड़े-बड़े कारखाने, ईंट भठ्ठे आदि में सर्वेक्षण किया जाए। साथ ही आस-पास या अन्य जगहों पर 14 साल के कम उम्र के बच्चों को बालश्रम करते देखें तो उनकी रोकथाम के लिए चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 पर शिकायत किया जा सकता है।
शासन के निर्देशानुसार जिले में बच्चों के अधिकारों के प्रभावी संरक्षण एवं सर्वोत्तम हित में विशेष रेस्क्यू अभियान संचालन हेतु वार्ड एवं ग्राम स्तरीय समिति का गठन किया गया है। उक्त समिति के द्वारा बालश्रम, भिक्षावृत्ति, नशावृत्ति के प्रभावी तारीके से रोकथाम के लिए कार्य कर रही है। नियमों और प्रावधानों के अनुसार बालकों को श्रमिक के रूप में रखे जाने वाले नियुक्ताओं के विरूद्ध भी समय-समय पर कड़ी वैधानिक कार्रवाई भी की जायेगी।
बैठक में पुलिस, श्रम, स्वास्थ्य, आदिवासी विकास विभाग, शिक्षा, स्वयं सेवी संस्थाओं के सदस्य, नगरीय निकाय एवं महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।