दुर्ग के होम आइसोलेशन मॉडल की तारीफ की संयुक्त सचिव ने, कहा दिल्ली में अपनी रिपोर्ट में बेस्ट प्रैक्टिस के रूप में दर्ज करेंगे
- स्वास्थ्य विभाग की केंद्रीय टीम पहुंची दुर्ग, कोविड केयर को लेकर जानी जिले की स्थिति, प्रशासन के रिस्पांस को लेकर जताई संतुष्टि, लिया फीडबैक
- केंद्रीय संयुक्त सचिव ऋचा शर्मा के साथ अन्य अधिकारी दौरे पर पहुंचे थे
दुर्ग 21 अक्टूबर 2020/ केंद्रीय संयुक्त सचिव, स्वास्थ्य विभाग श्रीमती ऋचा शर्मा के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम आज दुर्ग पहुंची।
इन्होंने कोविड केयर से जुड़े हुए सेंटर का निरीक्षण किया, साथ ही कोविड केयर से जुड़े हुए अधिकारियों की बैठक ली।
बैठक में उन्होंने अब तक कोविड केयर के संबंध में जिले में किये गये कार्यों की जानकारी ली, सुझाव दिये तथा फीडबैक भी लिये।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय दल का उद्देश्य आपके जिले में कोविड केयर को लेकर किये जा रहे कार्यों को प्रोत्साहित करना है। इसमें हम आपकी किस तरह से और मदद कर सकते हैं यह जानना है।
साथ ही कोविड केयर को लेकर आपके फीडबैक भी लेना है जिससे कोविड से लड़ने के लिए और हेल्थ सिस्टम को और मजबूत करने नीतियां तैयार की जा सकें।
उन्होंने दुर्ग जिले के होम आइसोलेशन कंट्रोल सेंटर का निरीक्षण किया और यहां किये जा रहे कार्यों पर प्रसन्नता जताई। उन्होंने कहा कि दिल्ली में अपनी रिपोर्ट में वे बेस्ट प्रैक्टिस के रूप में इसका जरूर जिक्र करेंगी।
संयुक्त सचिव ने जिला अस्पताल, शंकराचार्य हास्पिटल, जैन समाज के कोविड केयर सेंटर, फीवर क्लीनिक जैसी जगहों में पहुंची और यहां मरीजों के लिए किये गए इंतजाम देखे।
बैठक में कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे, जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक, सीएमएचओ डाॅ. गंभीर सिंह ठाकुर सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया किस तरह कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार- स्वास्थ्य विभाग की टीम ने आंकड़ों के माध्यम से बताया कि किस प्रकार अक्टूबर माह में संक्रमण की स्थिति में सुधार हुआ है।
टेस्टिंग के आंकड़े देखें तो सितंबर महीने की तुलना में अक्टूबर माह में प्रति सैंपल पाजिटिव मरीजों की संख्या घटी है। उदाहरण के लिए मंगलवार 20 अक्टूबर को 679 रैपिट एंटीजन के सैंपल लिये गए, इसमें पाजिटिव 53 आये। यह प्रतिशत सितंबर की तुलना में काफी घटा है।
मरीजों की रिकवरी रेट तेजी से बढ़ी है और डेथ की संख्या भी तेजी से घटी। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इसका कारण भी पूछा।
कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने बताया कि इसकी कई संभावित वजह हो सकती है। तेजी से संक्रमण बढ़ते जाने की स्थिति में लाकडाउन लगाने का निर्णय लिया गया जो प्रभावी साबित हुआ।
होम आइसोलेशन माडल काफी सफल रहा और यहां रिकवरी शानदार हुई। जिले में पचास वर्ष से अधिक आयु के लोगों को संक्रमण से बचाने उनकी पहचान करने का विशेष अभियान चला, कोरोना का सबसे घातक असर इसी वर्ग पर पड़ रहा था, व्यापक जागरूकता अभियान होने तथा घर-घर सर्वे टीम पहुंचने की वजह से इस वर्ग के संक्रमित लोगों का चिन्हांकन करने में आसानी हुई।
कलेक्टर ने बताया कि सबसे पहले दुर्ग में होम आइसोलेशन में रहने वाले लोगों की मानिटरिंग के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया। यह बहुत प्रभावी माडल साबित हुआ। होम आइसोलेशन के लिए 7901 मरीजों को अनुमति दी गई। इनमें 7014 रिकवर हो गए। 341 को रिफर किया गया।
6 मिनट वाक टेस्ट वीडियो की प्रशंसा की, जागरूकता अभियान की प्रतीक बनी दुर्गा की प्रशंसा भी- कलेक्टर ने बताया कि होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों के आक्सीजन लेवल पर विशेष फोकस किया गया।
इसके लिए 6 मिनट वाक टेस्ट का वीडियो भी तैयार किया गया। इसमें वाक के पहले और बाद आक्सीजन लेवल की आक्सीमीटर के द्वारा जांच करनी थी।
संयुक्त सचिव ने इसकी प्रशंसा की। कलेक्टर ने बताया कि अगले सौ दिन बेहद सावधानी भरे हैं क्योंकि इसी दौरान त्योहार आने हैं। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग के संबंध में जागरूकता बढ़े, इसके लिए आईसीई प्लान तैयार किया गया है। नन्ही दुर्गा इसकी प्रतीक है।