जिले में जल संसाधन के परियोजनाओं से रबी और खरीफ फसल ले रहें किसान

जगदलपुर, 24 नवम्बर 2020/ जल संसाधन किसी भी प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिये बहुत महत्वपूर्ण भाग है क्योंकि प्रदेश की काफी जनसंख्या कृषि पर निर्भर है और कृषि काफी हद तक वर्षाजल पर निर्भर है।

बस्तर जिला के अन्तर्गत सतही जल का संरक्षण, संवर्धन एवं सिंचाई साधन टी.डी.पी.पी. जल संसाधन संभाग जगदलपुर के द्वारा किया जाता है।

बस्तर जिले के सात विकासखण्डों का भौगोलिक क्षेत्रफल 4 लाख 3 हजार 30 हेक्टेयर है, इसमें कृषि भूमि 2 लाख 22 हजार 345 हेक्टेयर है तथा जिले का निराबोया गया रकबा एक लाख 89 हजार 329 हेक्टेयर है।

वर्ष 2020-21 में खरीफ लक्ष्य 17 हजार 903 हेक्टेयर रखा गया था, जिसके विरूद्ध 11 हजार 554 हेक्टेयर उपलब्धि हुई है। वर्ष 2020-21 का रबी लक्ष्य 5071 हेक्टेयर रखा गया है।

बस्तर जिले में जल संसाधन विभाग के अन्तर्गत एक मध्यम सिंचाई परियोजना कोसारटेडा है, 07 व्यपवर्तन योजना, 07 उद्वहन सिंचाई योजना, 31 लघु सिंचाई योजना एवं 30 एनीकट एवं स्टापडेम निर्मित किये गये हैं। 01 व्यपवर्तन योजना एवं 10 एनीकेट स्टापडेम निर्माणाधीन है। इस प्रकार वर्तमान में 87 योजनाएं हैं, जिससे खरीफ एवं रबी की सिंचाई हो रही है।

कोसारटेडा मध्यम सिंचाई परियोजना से 33 ग्रामों को पीने का पानी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा नल-जल योजना के तहत उपलब्ध कराया जाता है।

इसी प्रकार ग्रीष्म ऋतु में कोसारटेडा जलाशय से 15 ग्रामों के 25 तालाबों को निस्तारी के लिये पानी दिया जाता है। जिले की एक मात्र बड़ी नदी पेरिनियल नदी इन्द्रावती नदी ग्रीष्म ऋतु में पानी की कमी हो जाती है, जिसको दृष्टिगत रखते हुए इन्द्रावती नदी में 02 बड़े बैराज प्रस्तावित किये गये हैं।

इस प्रकार जल संसाधन विभाग पानी का किसानों को अधिक से अधिक सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के साथ जल का संरक्षण एवं संवर्धन के कार्य को भी प्राथमिकता के साथ किया जा रहा है।