कैबिनेट सचिव ने सभी राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों के साथ कोविड की स्थिति की समीक्षा की

11 राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों में कोविड की स्थिति ‘गंभीर चिंता’ की बात है

महाराष्ट्र, पंजाब और छत्तीसगढ़ में हालात विशेष रूप से चिंताजनक हैं

प्रसार रोकने के 5 साधनों- परीक्षण बढ़ाना, सख्त रोकथाम, त्वरित संपर्क पता लगाना और कोविड उपयुक्त व्यवहार- में से एक है टीकाकरण, जिन पर जोर दिया गया है

नई दिल्ली :- कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने सभी राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों के मुख्य सचिवों, डीजी पुलिस और स्वास्थ्य सचिवों के साथ हुई एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में मुख्य रूप से ऐसे 11 राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जहां पिछले दो हफ्तों के दौरान कोविड-19 के कारण दैनिक मामले और दैनिक मृत्यु की घटनाओं में तेज बढ़ोतरी दर्ज हो रही है।

कोविड प्रबंधन और प्रतिक्रिया रणनीति की समीक्षा और चर्चा के लिए हुई बैठक में सदस्य (स्वास्थ्य) नीति आयोग, केन्द्रीय गृह सचिव, केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव, केन्द्रीय सचिव (आईएंडबी), डीजी आईसीएमआर और निदेशक एनसीडीसी के साथ ही सभी राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों के मुख्य सचिव, डीजीपी और वरिष्ठ स्वास्थ्य पेशेवरों ने भाग लिया।

एक पखवाड़े से कोविड परिदृश्य लगातार बिगड़ने के कारण मौजूदा हालात का जायजा लेते हुए, कैबिनेट सचिव ने कहा कि मार्च, 2021 की कोविड मामलों की 6.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी पिछले 5.5 प्रतिशत (जून, 2020) के रिकॉर्ड से पार निकल गई है। इस अवधि के दौरान कोविड से रोजाना मौत के लिहाज से 5.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर भी दर्ज की गई है। वहीं देश में सितंबर, 2020 में कोविड के दैनिक 97,000 मामलों के साथ महामारी उच्चतम स्तर पर थी, जो देश में कोविड के अब 81,000 दैनिक मामलों के साथ गंभीर स्थिति में पहुंच गई है।

एक विस्तृत और व्यापक प्रस्तुति के माध्यम से, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कोविड की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला, जबकि केंद्रीय सचिव (सूचना एवं प्रसारण) ने लोगों के बीच कोविड संबंधी उपयुक्त व्यवहार को बढ़ाने के लिए प्रभावी व्यवहार परिवर्तन के तरीके सुझाए। डॉ. वी.के. पॉल ने राज्यों को वायरस के बदलते स्वरूप के जीनोम अनुक्रमण के अधिक विस्तृत अध्ययन के लिए नैदानिक और महामारी विज्ञान डेटा साझा करने के लिए एक प्रोटोकॉल का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

केंद्रीय गृह सचिव ने बताया कि जिन 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दैनिक कोविड रोगियों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है, उनमें रोकथाम गतिविधियों के प्रभावी कार्यान्वयन में वृद्धि नहीं हुई है। उन्होंने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों से इस संबंध में उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया।

11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को उनके अधिक और बढ़ते दैनिक मरीज़ों की संख्या और प्रतिदिन होने वाली अधिक संख्या में मृत्यु के कारण “गंभीर चिंता वाले राज्य” के रूप में वर्गीकृत किया गया था। पिछले 14 दिनों में कोविड रोगियो की संख्या में 90 प्रतिशत (31 मार्च को) की वृद्धि और 90.5 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु (31 मार्च को) इन्हीं राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पिछले वर्ष की कोविड रोगियों की संख्या और कोविड मृत्यु दर के करीब या उससे अधिक हो गई है।

यह भी बताया गया कि महाराष्ट्र में स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है।

उन्हें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा किए गए मानक नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल के पालन के माध्यम से बढ़ते कोविड रोगियों की संख्या पर नियंत्रण और उससे होने वाली दैनिक मृत्यु को रोकने के लिए तत्काल और उच्च प्रभावी उपाय करने की सलाह दी गई थी।

एक और चिंताजनक पहलू यह था कि उपनगरीय क्षेत्रों के साथ श्रेणी- 2 और श्रेणी- 3 शहरों ने कोविड मरीज़ों में हाल ही में उच्च वृद्धि दर दर्ज की गई हैं; इन क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड संक्रमण फैलने के साथ कमजोर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के कारण स्थानीय प्रशासन पर प्रभाव पड़ने के बारे में भी प्रकाश डाला गया।

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा किए गए उपायों की विस्तृत और व्यापक समीक्षा के बाद, कैबिनेट सचिव ने टीकाकरण और कोविड दिशा-निर्देशों के कड़ाई से पालन के साथ, नियंत्रण और निगरानी के उपायों को सख्ती से लागू करने के बारे में सावधानीपूर्वक और कड़ी मेहनत की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

राज्यों से विशेष रूप से पूछा गया:

  • यह सुनिश्चित करने के लिए परीक्षण निरंतर बढ़ाएं कि कोविड के पॉजिटिव मामले घटकर सिर्फ 5% या 5% से भी कम के स्‍तर पर आ जाए
  • यह सुनिश्चित करने पर फोकस करें कि कुल परीक्षणों में आरटी-पीसीआर परीक्षणोंकी हिस्‍सेदारी 70% हो जाए
  • परीक्षण प्रयोगशालाओं के साथ नियमित समीक्षा के जरिए परीक्षण परिणामों की प्रतीक्षा अवधि को कम करें
  • घनी आबादी वाले क्षेत्रों में और इसके साथ ही जहां नए क्लस्टर उभर रहे हैं, वहां स्क्रीनिंग टेस्ट के रूप में रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) का उपयोग करें
  • सभी रोगसूचक आरएटी निगेटिव रिपोर्ट वालों का अनिवार्य रूप सेआरटी-पीसीआर परीक्षणकराना होगा
  • सभी संक्रमित लोगों का संस्थागत केंद्रों (कोविड केयर सेंटर) में प्रभावकारी और शीघ्र अलगाव (आइसोलेशन) सुनिश्चित करें।
  • यह सुनिश्चित करें कि घर पर आइसोलेशनमें रखे गए मरीजों की रोजाना निगरानी हो। आवश्यक होने पर आइसोलेशनमें रखे गए संक्रमित व्यक्तियों को तुरंत स्वास्थ्य केंद्रों में स्थानांतरित करना होगा।
  • यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति के नजदीकी संपर्क में आए 25 से 30 व्‍यक्तियों का पता लग जाए। इनके नजदीकी संपर्क में आए लोगों का पता लगाना और उन सभी काआइसोलेशन 72 घंटों में सुनिश्चित करना होगा। इसके बाद परीक्षणकरना होगा और नजदीकी संपर्क में आए सभी लोगों का पता लगाना होगा।
  • रोग संचरण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए कंटेनमेंट जोन/माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाने होंगे।

राज्यों से अस्पताल-वार मामला या मरीजमृत्यु दरकी जांच करने, उचित रणनीति तैयार करने और अस्पतालों में देर से भर्ती करने एवं राष्ट्रीय नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल का पालन न करने से जुड़ी चिंताओं को कम करने के लिए भी कहा गया है। मामलों का खाका तैयार करने, वार्ड/ब्लॉक वार संकेतकों की समीक्षा करने, 24*7 आपातकालीन संचालन केंद्र, आकस्मिक कमान प्रणाली (क्षेत्र विशिष्ट त्‍वरित कार्रवाई दल या रैपिड रिस्पांस टीम) और समय पर संबंधित जानकारियों को साझा करने पर फोकस करते हुए ‘जिला कार्य योजनाएं’ तैयार करने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया गया।

रोज होने वालीमौतों को कम करने के लिए, राज्यों को सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य संसाधनों के सुदृढ़ीकरण की सलाह दी गई।

उन्हें विशेष रूप से निर्देश दिया गया कि वे:

  • आवश्यकता के अनुसार आइसोलेशन बेड, ऑक्सीजन बेड, वेंटिलेटर / आईसीयू बेड की संख्या बढ़ाएं।ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति की योजना बनाएं।
  • एम्बुलेंस सेवा को मजबूत करें और स्थानीय प्रशासन द्वारा नियमित निगरानी के जरिए प्रतिक्रिया के समय में और इनकार की दर को कम करें।
  • संविदा कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या और उनकी अधिकतम ड्यूटीको सुनिश्चित करें।
  • एम्स, नई दिल्ली कोर टीम या राज्य कोर टीम के साथ जिलों में आईसीयू के डॉक्टरों की नियमित टेली-परामर्श की योजना बनाएं। एम्स, नई दिल्ली द्वारासप्ताह में दो बार मंगलवार और शुक्रवार को टेली-परामर्श आयोजित किया जाता है।
  • कोविड के प्रति उपयुक्त व्यवहार (सीएबी) का सख्तसे पालन को दोहराया गया। राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा निम्नलिखित क़दमोंको तत्काल अनुपालन के लिए रेखांकित किया गया:
  • डिफॉल्टरों पर जुर्माना लगाने के लिए पुलिस अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और अन्य कानूनी / प्रशासनिक प्रावधानों का उपयोग।
  • सही से मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए स्थानीय अधिकारियों, नेताओं, संस्कृतिक, खेल, धार्मिक गुरुओं की मदद से जानकारी का प्रसार करना ।
  • बाजार, मेले, सामाजिक और धार्मिक समूहों पर ध्यान केंद्रित करें जहां से कोविड बड़े स्तर पर फैल सकता है ।
  • टीकाकरण के साथ-साथ कोविड संबंधी उपयुक्त व्यवहार को अपनाने के लिए जागरूकता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और टीकाकरण के बाद भी इसका पालन किया जाना चाहिए।
  • विभिन्न माध्यमों और विभिन्न प्लेटफॉर्मों के जरिये प्रभावी ढंग से और व्यापक स्तर पर ‘दवाई भी कड़ाई भी’ का संदेश प्रसारित किया जाना चाहिए।

दैनिक कोविड मामलों में वृद्धि को देखते हुए प्राथमिकता वाले आयु समूहों के पूर्ण टीकाकरण को लेकर राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को निम्नलिखित सलाह दी गई है,

  • योग्य स्वास्थ्यकर्मियों, अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों और पात्र आयु समूहों के 100 फीसदी टीकाकरण की समयबद्ध योजना बनाई जाए।
  • पर्याप्त टीका खुराक सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ समन्वय किया जाए। इस बात पर जोर दिया गया है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए टीकों की कमी नहीं है। केंद्र लगातार राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की जरूरतों को पूरा करेगा।
  • वहीं जरूरी पुन:विनियोग के लिए राज्य स्तर पर प्रत्येक कोल्ड चेन प्वाइंट से खपत की दैनिक समीक्षा की जाए।

कैबिनेट सचिव ने मुख्य सचिवों से आह्वान किया कि वे राज्य प्रशासन को प्रेरित करें और कोविड मामलों की हालिया वृद्धि से निपटने के लिए उनके निपटान से संबंधित सभी संसाधनों का उपयोग करें।

आज की बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अलावा अन्य विभागों के प्रयासों को एक “संपूर्ण सरकार” दृष्टिकोण के माध्यम से विस्तारित करने की जरूरत पर बल दिया गया। वहीं इस बार पर भी जोर दिया गया कि केंद्र सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड-19 से लड़ने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों और नैदानिक प्रबंधन को लेकर सभी संसाधन एवं सहायता को प्रदान करता रहेगा।