निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को सर्वेक्षणों की आड़ में चुनाव के बाद लाभार्थी-उन्मुख योजनाओं के लिए मतदाताओं का नामांकन/पंजीकरण बंद करने का निर्देश दिया
मतदान के बदले में कुछ देने और प्रलोभन की संभावना रिश्वत/भ्रष्ट व्यवहार के बराबर है
नई दिल्ली : भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा अपनी प्रस्तावित लाभार्थी योजनाओं के लिए विभिन्न सर्वेक्षणों की आड़ में मतदाताओं का विवरण प्राप्त करने से जुड़ी गतिविधियों को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(1) के तहत रिश्वत देने का भ्रष्ट व्यवहार मानते हुए गंभीरता से लिया है। आयोग ने कहा है कि, “कुछ राजनीतिक दल और उम्मीदवार ऐसी गतिविधियों में लगे हुए हैं, जो वैध सर्वेक्षणों तथा चुनाव के बाद लाभार्थी-उन्मुख योजनाओं के लिए व्यक्तियों को पंजीकृत करने के पक्षपातपूर्ण प्रयासों के बीच की रेखा को धुंधला कर देती हैं।”
आयोग ने मौजूदा आम चुनाव 2024 में विभिन्न मामलों के मद्देनजर आज एक एडवाइजरी जारी की है (लिंक: https://www.eci.gov.in/eci-backend/public/api/download?url=LMAhAK6sOPBp%2FNFF0iRfXbEB1EVSLT41NNLRjYNJJP1KivrUxbfqkDatmHy12e%2FztfbUTpXSxLP8g7dpVrk7%2FRgJnWIFoi%2FHESbtsL%2FSFvsIWBm5CVW8P%2FiquKm95vYSdOFtn933icz0MOeiesxvsQ%3D%3D )। इसमें सभी राष्ट्रीय और राज्यों के राजनीतिक दलों को निर्देश दिया गया है कि वे विज्ञापन/सर्वेक्षण/एप्प के जरिए चुनाव के बाद लाभार्थी-उन्मुख योजनाओं के लिए व्यक्तियों को पंजीकृत करने जैसी गतिविधियां बंद करें।
आयोग ने कहा है कि चुनाव के बाद लाभ पाने के लिए पंजीकरण करने हेतु व्यक्तिगत मतदाताओं को आमंत्रित करने/ उनका आह्वान करने का काम निर्वाचक और प्रस्तावित लाभ के बीच एक लेन-देन के रिश्ते की जरूरत का आभास पैदा कर सकता है, जिससे उन्हें एक विशेष तरीके से मतदान की व्यवस्था का प्रलोभन प्राप्त होगा।
आयोग ने ये माना है कि सामान्य चुनावी वादे जहां स्वीकार्यता के दायरे में आते हैं, वहीं आयोग ने ये भी कहा कि नीचे दी गई तालिका में उल्लिखित ऐसी गतिविधियां भरोसेमंद सर्वेक्षणों और राजनीतिक लाभ के लिए कार्यक्रमों में लोगों को नामांकित करने के पक्षपाती प्रयासों के बीच अंतर को अस्पष्ट करती हैं। ये सब वैध सर्वेक्षणों का रूप लिए होती हैं कि वे संभावित व्यक्तिगत लाभों से जुड़े सरकारी कार्यक्रमों या पार्टियों के एजेंडा के बारे में सूचित करने की गतिविधियां या प्रयास हैं।
आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 127 ए, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (1), और धारा 171 (बी) ) आईपीसी जैसे वैधानिक प्रावधानों के तहत ऐसे किसी भी विज्ञापन के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
तालिका नंबर एक:
- अख़बार के विज्ञापन व्यक्तिगत मतदाताओं से मोबाइल पर मिस्ड कॉल देकर या टेलीफोन नंबर पर कॉल करके लाभ के लिए खुद को पंजीकृत करने को कहते हैं।
- मतदाताओं के नाम, उम्र, पता, मोबाइल नंबर, बूथ संख्या, निर्वाचन क्षेत्र का नाम और संख्या आदि जैसे विवरण मांगने वाले एक संलग्न फॉर्म के साथ संभावित व्यक्तिगत लाभों का विवरण देने वाले पर्चे के रूप में गारंटी कार्ड का वितरण।
- जारी सरकारी व्यक्तिगत लाभ योजना के विस्तार के लिए संभावित लाभार्थियों के सामाजिक–आर्थिक सर्वेक्षण के नाम पर मतदाताओं का विवरण जैसे नाम, राशन कार्ड नंबर, पता, फोन नंबर, मतदान केंद्र संख्या, बैंक खाता संख्या, निर्वाचन क्षेत्र का नाम और उसकी संख्या आदि मांगने वाले फॉर्म का वितरण।
- राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों द्वारा मतदाताओं का विवरण जैसे नाम, पता, फोन नंबर, बूथ नंबर, निर्वाचन क्षेत्र का नाम और नंबर आदि मांगने के लिए वेब प्लेटफॉर्म या वेब/मोबाइल एप्लिकेशन का प्रसार या प्रसार। (इसमें व्यक्तिगत लाभ के लिए निमंत्रण हो भी सकता है और नहीं भी) लाभ या उनकी मतदान प्राथमिकता का खुलासा करना)।
- मौजूदा व्यक्तिगत लाभ योजनाओं के बारे में समाचार पत्र के विज्ञापन या भौतिक फॉर्म के साथ–साथ पंजीकरण फॉर्म में मतदाता का विवरण जैसे नाम, पति/पिता का नाम, संपर्क नंबर, पता आदि मांगा जाता है।