लोकसभा में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पर एक श्‍वेत पत्र और देश की जनता पर पडने वाले इसके प्रभाव पर चर्चा हुई

नई दिल्ली : लोकसभा में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पर एक श्‍वेत पत्र और देश की जनता पर पडने वाले इसके प्रभाव पर चर्चा हुई। वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने आज निचले सदन में श्‍वेत पत्र प्रस्‍तुत किया। आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और टीएमसी नेता सौगत राय ने श्‍वेत पत्र के विरूद्ध एक विकल्‍प प्रस्‍ताव पेश किया।
वित्त मंत्री सीतारामन ने कहा कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को पांच कमजोर अर्थव्‍यवस्‍था से निकालने के दस वर्षों बाद और इसे शीर्ष पांच अर्थव्‍यवस्‍थाओं में ले जाने को लेकर सरकार ने श्‍वेत पत्र पेश किया है। उन्‍होंने कहा कि श्‍वेत पत्र इस जिम्‍मेदारी के साथ पेश किया गया है जिसमें अर्थव्‍यवस्‍था पर वास्‍तविक सूचनाओं का रिकॉर्ड हो।

सीतारामन ने कहा कि यह भारत के युवाओं की भावी पीढी के लिए एक रिकॉर्ड होगा। इससे युवा यह जान सकेंगे कि भारत को उसका गौरव लौटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्‍व की सरकार ने किस तरह के प्रयास किए हैं।

सीतारामन ने कहा कि संयुक्‍त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने अर्थव्‍यवस्‍था को एक नाजुक स्थिति में छोड़ दिया था। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में स्थिति में सुधार हुआ और अब देश को विश्‍व में सम्‍मान की नजर से देखा जा रहा है। उन्‍होंने आरोप लगाया कि संयुक्‍त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के दौरान कोयला घोटाला और अन्‍य घोटालों के कारण देश की अर्थव्‍यवस्‍था गंभीर संकट में चली गई थी।

सीतारामन ने कहा कि कोयला घोटाले के कारण राजकोष को एक करोड़ 86 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। उन्‍होंने कहा कि मोदी सरकार ने कोयला खण्‍डों की पारदर्शी नीलामी सुनिश्चित की है। गैर निष्पादित परिसंपत्तियों को लेकर वित्त मंत्री ने यूपीए सरकार पर नियमों की अनदेखी करके कुछ कंपनियों और व्‍यक्तियों का पक्ष लेने का आरोप लगाया।