संसदीय स्थायी समिति ने उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों से संपत्ति की घोषणा अनिवार्य करने की सिफारिश की

नई दिल्ली : संसद की स्थायी समिति ने सर्वोच्‍च न्‍यायालय और उच्‍च न्‍यायालय के न्यायाधीशों के लिये प्रतिवर्ष अपने रिटर्न में संपत्ति घोषित अनिवार्य करने की सिफारिश की है।

कार्मिक, जन शिकायत, विधि और न्‍याय से संबंधित विभाग की संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट-प्रक्रियाओं और उनके सुधार में कहा है कि सामान्‍य प्रक्रिया के रूप में सभी संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों और सरकारी कर्मचारियों के लिये अपनी संपत्तियों और देनदारी की वार्षिक रिटर्न भरना आवश्यक है।

स्‍थायी समिति के अध्‍यक्ष, भारतीय जनता पार्टी के राज्‍यसभा सदस्‍य सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने कहा था कि जनता को सांसदों और विधायकों की संपत्तियों की जानकारी लेने का अधिकार है। उसी तरह यदि कोई व्‍यक्ति सरकारी पद पर है और राजकोष से वेतन प्राप्‍त कर रहा है तो उसके लिये भी अपनी संपत्ति की वार्षिक रिटर्न जमा करना अनिवार्य होना चाहिए।

सरकार ने संसदीय समिति को बताया है कि नियमित रूप से संपत्तियों की जानकारी देना और इसे सार्वजनिक रूप से अपलोड करने के लिए एक संस्‍थागत व्‍यवस्‍था बनाये जाने की आवश्यकता है।

समिति ने केन्‍द्र सरकार सर्वोच्‍च न्‍यायालय और उच्‍च न्‍यायालय के न्यायाधीशों के लिए प्रतिवर्ष संपत्ति की रिटर्न समुचित कार्यालय के पास भरना अनिवार्य बनाने के लिये समुचित कानून बनाने की सिफारिश की है। यह भी कहा गया है कि उच्‍च न्यायपालिका के न्यायाधीशों की संपत्ति घोषित किये जाने से जनता में विश्वास बढ़ेगा।