प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर वर्चुअल वैशाख वैश्विक समारोह में मुख्य भाषण दिया

नई दिल्ली :- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत अब कोविड-19 महामारी से निपटने में बेहतर ढंग से तैयार है। राष्ट्र ने पिछले महीनों में इस महामारी से निपटने में बेहतर समझ और कार्य नीति विकसित की है।

आज बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर वर्चुअल बैसाख वैश्विक समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि देश के पास अब वैक्सीन है जो लोगों का जीवन बचाने और महामारी को परास्त करने में महत्वपूर्ण है। कोविड-19 वैक्सीन बनाने में वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने अग्रिम पंक्ति के यौद्धाओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ताओं, चिकित्सकों और नर्सों ने अपना जीवन जोखिम में डालकर निस्वार्थ भाव से लोगों को बचाने में योगदान दिया। प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान अपने प्रियजनों को गंवाने वाले परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि मानव जीवन में आए इस अभूतपूर्व संकट की वजह से उन्हें लोगों की दहलीज पर त्रासदी ने दस्तक दी है और सभी देशों को दुष्प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि इस महामारी से पैदा हुआ आर्थिंक संकट बहुत बडा है और हमारी धरती कोविड-19 के बाद पहले जैसी नहीं रहेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ संघर्ष करते हुए हमें मानवता के समक्ष उत्पन्न जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और उग्रवाद जैसी अन्य चुनौतियों को भी नहीं भूलना चाहिए।

उन्होंने घोषणा की कि भारत उन गिनी चुनी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जो पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य हासिल करने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए सतत जीवन के मामले में करनी और कथनी में कोई अंतर नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गौतम बुद्ध का जीवन शांति, सदभाव और सह-अस्तित्व के सिद्धान्तों का मूर्त रूप था। लेकिन आज ऐसी ताकतें मौजूद हैं जिनका अस्तित्व नफरत, आतंक और हिंसा फैलाने पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि ये ताकतें उदार लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास नहीं रखती हैं। उन्होंने कहा कि मानवता में विश्वास रखने वाले सभी लोगों को एकजुट होकर आतंकवाद और उग्रवाद का सामना करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध समूची दुनिया के लिए मानवीय उत्कर्ष का उदाहरण थे। उन्होंने कहा कि हम समय समय पर उनके जीवन से करूणा, सार्वभौम दायित्व और कल्याण की शिक्षा हासिल कर सकते हैं।

इस कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय बोर्ड परिसंघ के सहयोग से किया था। इसमें विश्वभर के बौद्ध संघों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में विश्वभर में पचास प्रमुख बौद्ध धार्मिक नेताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। श्रीलंका और नेपाल के प्रधानमंत्रियों तथा मंगोलिया और भूटान के संस्कृति मंत्रियों ने भी इस वर्चुअल कार्यक्रम में शिरक्त की।