केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मौजूदा विपणन सत्र के लिए सभी खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में पर्याप्त वृद्धि की घोषणा की
नई दिल्ली : आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज विपणन सत्र 2023-24 के लिए सभी अनिवार्य खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दी। मंत्रिमंडल ने किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए यह निर्णय लिया है।
आज नई दिल्ली में मीडिया को जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस वर्ष का बढ़ा हुआ न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले कई वर्षों से अधिक है।
किसानों को फसल का उचित मूल्य देने के लिए विपणन सत्र 2023-24 के लिए खरीफ फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की पूरे देश के औसत उत्पादन लागत के कम से कम डेढ़ गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने की घोषणा के अनुरूप है।
किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित मार्जिन बाजरा के मामले में सबसे अधिक 82 प्रतिशत होने का अनुमान है, इसके बाद अरहर 58 प्रतिशत, सोयाबीन 52 प्रतिशत और उड़द 51 प्रतिशत पर है। बाकी फसलों के लिए, किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर मार्जिन कम से कम 50 प्रतिशत होने का अनुमान है।
हाल के वर्षों में, सरकार इन फसलों के लिए उच्च एमएसपी देकर दालों, तिलहन और पोषक अनाज या श्रीअन्न जैसे अनाज के अलावा अन्य फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने किसानों को अपनी फसलों में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन जैसी विभिन्न योजनाओं और पहलों की भी शुरुआत की है।
2022-23 के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 330 दशमलव 5 मिलियन टन होने का अनुमान है जो पिछले वर्ष 2021-22 की तुलना में 14 दशमलव 9 मिलियन टन अधिक है। यह पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है।