बिहार के सत्तारूढ़ गठबंधन में दरारें बढ़ने के साथ ही पटना में राजनीतिक बातचीत तेज हो गई है
पटना : बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन में राजनीतिक अनिश्चितता के बीच भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) पार्टियों के बीच मंथन का दौर जारी है। इस बात को लेकर अटकलबाजियों का जोर चल रहा कि कुछ ही दिनों में बिहार में आरजेडी-जेडीयू गठबंधन की सरकार गिर जायेगी और नये राजनीतिक समीकरण बनेंगे।
भाजपा और आरजेडी ने वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा करने के लिए आज पटना में अपने वरिष्ठ नेताओं और विधायकों की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। जेडीयू भी कल अपने विधायकों और सांसदों के साथ बैठक करेगी।
जेडीयू और आरजेडी के बीच कई मुद्दों पर गतिरोध होने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। इनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद पर वंशवाद का हमला, आई एन डी आई ए गठबंधन के बीच सीटों के बंटवारे में देरी और बिहार में सत्तारूढ गठबंधन भागीदारों के बीच तालमेल की कमी शामिल है।
जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने राज्य में राजनीतिक स्थिति को लेकर अपने वरिष्ठ नेताओं, निकट सहयोगियों और विधायकों के साथ कई दौर की बैठक की। मौजूदा राजनीतिक गतिरोध के बीच भाजपा हाईकमान ने भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, राज्य के प्रभारी विनोद तावड़े और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ नई दिल्ली में बैठक की।
भाजपा, जेडीयू और आरजेडी राज्य में नई सरकार के गठन सहित कई अन्य विकल्पों पर कार्य कर रहे हैं। दूसरी तरफ आरजेडी और जेडीयू के सहयोगी कांग्रेस ने कहा है कि वह स्थिति पर नजर रखे हुए है और सही समय पर उचित फैसला लेगी।
बिहार विधान सभा की दो सौ 43 सीटों में से सरकार गठन के लिए एक सौ 22 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। इस समय महागठबंधन के पास एक सौ साठ सदस्य हैं जिनमें आरजेडी के 79, जेडीयू के 45 और कांग्रेस के 19 सदस्य हैं। वाम दलों के 16 विधायक और एक निर्दलीय सदस्य भी महागठबंधन सरकार को समर्थन दे रहे हैं।
भाजपा के 78 और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के चार सदस्य एनडीए का हिस्सा है। ए आई एम आई एम का एक विधायक किसी भी धडे में शामिल नहीं है।