सरकार ने गेहूं की बढती कीमतों के कारण निर्यात को नियंत्रित करने का फैसला किया
नई दिल्ली :- केन्द्र ने कहा है कि गेहूं की बढती कीमतों को देखते हुए इसके निर्यात को नियंत्रित करने का निर्णय लिया गया है।
सरकार ने आश्वस्त किया है कि देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली-पीडीएस सुचारू रूप से काम करती रहेगी। खाद्य और उपभोक्ता मामले सचिव सुधांशु पांडेय ने आज नई दिल्ली में कहा कि पीडीएस व्यवस्था देश के खाद्य सुरक्षा और संरक्षा नेटवर्क का आधार है। इसके अन्तर्गत लगभग 81 करोड 35 लाख लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूं के मूल्य में वृद्धि के बावजूद पीडीएस व्यवस्था सुचारू रूप से जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि भारत को छोड़कर अन्य सभी देश करीब चार सौ पचास से चार सौ अस्सी डॉलर प्रति टन के हिसाब से गेहूं की बिक्री कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस साल भारत में गेहूं का शुरुआती भंडार 190 लाख टन था जो पिछले साल के शुरुआती भंडार से 273 लाख टन से कम है। पांडेय ने बताया कि पिछले वर्ष 433 लाख टन गेहूँ की खरीद हुई थी। इस वर्ष 444 लाख टन गेहूं की खरीद होने का अनुमान था, लेकिन अभी तक लगभग 180 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है।
पांडे ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्यों और संबंधित अधिकारियों के परामर्श से गेहूं और चावल के अनुपात में बदलाव करके खाद्यान्न की कुछ मात्रा फिर से आवंटित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा है कि सरकार ने अतिरिक्त 111 लाख टन का आवंटन करके गेहूं की उपलब्धता को भी बढ़ाया है।
कृषि सचिव मनोज आहूजा ने कहा कि देश में गेहूं की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में है।
वाणिज्य सचिव बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि गेहूं का कोई संकट नहीं है और देश में पर्याप्त खाद्य भंडार उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि गेहूं की बढ़ती कीमतों के पीछे इसका अनियंत्रित व्यापार है और सरकार का मुख्य लक्ष्य महंगाई पर रोक लगाना है।