ग्लासगो में कॉप-26 जलवायु शिखर सम्मेलन का आज समापन
ग्लासगो में चल रहे कॉप जलवायु शिखर सम्मेलन का आज समापन हो रहा है।सम्मेलन में जलवायु के लिए धन जुटाने, जलवायु अनुकूलन को मजबूत करने, प्रौद्योगिकी विकास और हस्तांतरण तथा वैश्विक तापमान में वृद्धि को कम करने से संबंधित पेरिस समझौते के लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए चर्चा हुई।
जहां तक भारत का मामला है वह 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त कर लेगा और 2030 तक कुल अनुमान से एक अरब टन कार्बन उत्सर्जन को कम करेगा।
सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक बढा लेगा और अक्षय ऊर्जा के माध्यम से अपनी ऊर्जा आवश्यकता का 50 प्रतिशत पूरा कर लेगा।
मोदी ने कहा कि भारत की आबादी विश्व की आबादी का 17 प्रतिशत है और कार्बन उत्सर्जन में इसका अंश केवल पांच प्रतिशत ही रह गया है। जलवायु वित्त के बारे में मोदी ने कहा कि जलवायु से निपटने के लिए आवश्यक धनराशि पूरी नहीं हुई है और जलवायु परिवर्तन के लिए विकसित देशों को जल्द से जल्द एक ट्रिलियन डॉलर की व्यवस्था कर लेनी चाहिए।
मोदी ने ग्लासगो शिखर सम्मेलन में वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड का शुभारंभ किया था। इस पहल में एक वैश्विक ग्रिड स्थापित किया जायेगा जो सौर ऊर्जा को बढाने में सक्षम होगा। यह भंडारण की जरूरतों को कम करेगा, सौर परियोजनाओं को व्यवहार्य बनाएगा और ऊर्जा लागत को कम करेगा।
जलवायु वित्त पोषण पर अमीर राष्ट्र अपने वादे पूरे नहीं कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय सतत विकास संस्थान के महानिदेशक डॉक्टर श्रीकांत पाणिग्रही ने जलवायु वित्तपोषण के बारे में बात की।
अमरीका एक सदस्य देश के रूप में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन शामिल हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में अमरीका के शामिल होने का स्वागत किया।
जलवायु परिवर्तन को नियंत्रण में लाने के लिए ग्लासगो में हो रहे शिखर सम्मेलन को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
ऐतिहासिक पेरिस वार्ता के बाद से कॉप-26 सबसे बड़ा जलवायु परिवर्तन सम्मेलन है।