भारत में वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पर्याप्त व्यवस्था करना जरूरी : एम्स

नई दिल्ली :- राष्ट्रीय कार्य बल-एनटीएफ ने ब्रिटेन में पाए गए कोविड-19 के नए स्वरूप के मद्देनजर परीक्षण, उपचार और निगरानी की रणनीति में साक्ष्य आधारित संशोधनों पर चर्चा की।

कार्यबल की बैठक, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर विनोद पॉल और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव तथा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रोफेसर बलराम भार्गव की सह-अध्यक्षता में बुलाई गई थी।

बैठक के दौरान, इस बात पर जोर दिया गया कि ब्रिटेन में पाया गया यह वायरस से संक्रमण तेजी से फैलता है, इसलिए इससे संक्रमित व्यक्तियों की पहचान करना महत्वपूर्ण है और भारत में इसके संचरण को रोकने के लिए पर्याप्त व्यवस्था करना जरूरी है। राष्ट्रीय कार्यबल ने कहा है कि वायरस के बदले स्वरूप को देखते हुए उपचार के वर्तमान प्रोटोकॉल में बदलाव की कोई आवश्यकता नहीं है।

कार्यबल ने सिफारिश की है कि मौजूदा निगरानी रणनीतियों के अलावा कोरोना वायरस के लिए विशेष रूप से ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों के लिए संवर्धित जीनोमिक निगरानी करना जरूरी है।

नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल- एनसीडीसी ने कहा है कि सरकार ने ब्रिटेन में पाए गए वायरस के बदले स्वरूप और अन्य देशों की प्रतिक्रिया का संज्ञान लिया है। स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। वायरस के बदले स्वरूप का पता लगाने और उस पर नियंत्रण के लिए रणनीति बनाई गई है।

21 दिसंबर से 23 दिसंबर 2020 के बीच ब्रिटेन से आए सभी यात्रियों की हवाई अड्डों पर जांच की गई है। पॉजिटिव पाए गए सभी यात्रियों को संस्थागत पृथकवास में रखा गया है और उनके नमूने को सम्पूर्ण जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजा गया है।

पॉजिटिव यात्रियों के संपर्क में आए सभी लोगों को पृथकवास में रखा गया है और उनकी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के दिशा-निर्देशों के अनुसार जांच की जा रही है। निगेटिव पाए गए यात्रियों को हवाई अड्डे से बाहर जाने की अनुमति दी गई है।

आव्रजन ब्यूरो ने पिछले 28 दिनों में ब्रिटेन से आए सभी यात्रियों की सूची संबंधित राज्यों के साथ साझा की है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पॉजिटिव मामलों में से पांच प्रतिशत की पूरे जीनोम अनुक्रमण के लिए जांच की जाएगी। जिला विकास परिषद के चुनाव भारतीय लोकतंत्र की मजबूती दर्शाते हैं।